डॉ. रामबली मिश्र
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दुर्मिल सवैया
दिल दे मन से हर बात करे,समझो उसको धरमी नरमी।
मरमी सब जानत है मन की, कुछ नाहिं छिपावत है धरमी।
अति प्रीति करे सब देन कहे, दिल खोल दिखावत है मरमी।
प्रिय रूप सजा मन मस्त रहे, हर भाव प्रणम्य सदा गरमी।
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